culture of india essay in hindi

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

culture of india essay in hindi

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

culture of india essay in hindi

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

culture of india essay in hindi

  • Essays in Hindi /

Essay on Indian Culture: भारतीय संस्कृति के बारे में निबंध

culture of india essay in hindi

  • Updated on  
  • June 18, 2024

Essay on Indian Culture in Hindi

Essay on Indian Culture in Hindi : भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है? अमेरिका के महानतम लेखकों और हास्यकारों में से एक मार्क ट्वेन ने एक बार कहा था, कि ‘भारत एक ऐसी भूमि है जिसे हर कोई देखना चाहता है और एक बार देखने के बाद, यहां तक ​​कि एक झलक भी, पूरी दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में कम ही देखने को मिलती है।’ भारतीय संस्कृति अपनी समृद्ध सुंदरता, पारंपरिक मूल्यों, नैतिकता और सामाजिक मानदंडों के लिए जानी जाती है। तो चलिए जानते हैं Essay on Indian Culture in Hindi  से भारतीय संस्कृति के बारे में। 

This Blog Includes:

भारतीय संस्कृति पर निबंध 100 शब्द में, भारतीय संस्कृति पर निबंध 200 शब्द में, भारतीय संस्कृति पर निबंध 500 शब्द में, भारतीय संस्कृति का महत्व, भारतीय संस्कृति के बारे में रोचक तथ्य.

भारतीय सांस्कृतिक के लोग पुराने रीति-रिवाजों से जुड़े हुए हैं। भारत के दिवाली, होली, नवरात्रि आदि जैसे लोकप्रिय त्यौहार न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी मनाए जाते हैं। भारत की संस्कृति लोगों की मान्यताओं, सामाजिक संरचना और धार्मिकता को दर्शाती है। भारत देश में हर धर्म के लोग रहते है। यहां हर क्षेत्र की उनकी अपनी अलग-अलग संस्कृति है, जो वहां के लोगों की भाषा, पहनावे और परंपराओं में दर्शाती है। भारतीय संस्कृति अनूठी परंपराओं से विकसित है। भारत एक समृद्ध संस्कृति वाला देश है, यहां एक से ज्यादा धार्मिक संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते हैं।

भारतीय संस्कृति रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, मूल्यों और प्रथाओं के इस जटिल ताने-बाने ने एक सभ्यता की पहचान को आकार दिया है जो अपनी विविधता और गहराई के लिए जानी जाती है। भारतीय साहित्य की सबसे पुरानी कृतियाँ मौखिक थीं। संस्कृत साहित्य की शुरुआत होती है 5500 से 5200 ईसा पूर्व के बीच संकलित ऋग्वेद से जो की पवित्र भजनों का एक संकलन है। संस्कृत के महाकाव्य रामायण और महाभारत पहली शताब्दी ईसा पूर्व के अंत में लिखे गए।

पहली शताब्दी ईसा पूर्व की पहली कुछ सदियों के दौरान शास्त्रीय संस्कृत खूब फली-फूली, तमिल संगम साहित्य और पाली कैनन ने भी इस समय काफी प्रगति की। मनोरंजन और खेल के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति में खेलों की एक बड़ी संख्या विकसित हुई। आधुनिक पूर्वी मार्शल कला भारत में एक प्राचीन खेल के रूप में शुरू हुई और कुछ लोगों द्वारा ऐसा माना जाता है कि यही खेल विदेशों में फैले और बाद में उन्हीं खेलों का अनुकूलन और आधुनिकीकरण किया गया। ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में आये कुछ खेल यहाँ काफी लोकप्रिय हो गए जैसे फील्ड हॉकी, फुटबॉल और खासकर क्रिकेट।

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व सभ्यता है। जिसे विश्वभर की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। कला, विज्ञान या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति हमेशा से विशेष रही है। भारत हमेशा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र रहा है। प्राचीन भारत के धर्म, दर्शन, शास्त्र, कला, राजनीति, संस्कृति इत्यादि में भारतीय संस्कृति के स्वरुप को देखा जा सकता है। पारंपरिक भारतीय भोजन, कला, संगीत, खेल, कपड़े और वास्तुकला अलग-अलग क्षेत्रों में काफी भिन्न होते हैं। 

भारतीय संस्कृति क्यों प्रसिद्ध है?

भारत की समृद्धता और संस्कृति दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोगों को आकर्षित करती है। पूरे देश में सांस्कृतिक डाइवर्सिटी, धार्मिक और आध्यात्मिक प्रथाओं की विविधता। भारतीय सांस्कृतिक की प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता जो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। भारतीय सांस्कृतिक में योग और ध्यान जैसी अवधारणाएँ, जिन्होंने पूरी विश्व में लोकप्रियता को हासिल किया है। यहां की सांस्कृतिक में पारंपरिक कला प्रथाएँ जैसे कथक, मोहिनीअट्टम, ओडिसी, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी आदि जैसे शास्त्रीय नृत्य जो लोगों को आकर्षित करते हैं। भारती संस्कृति की कलाएं जो हर क्षेत्र की अपनी पहचान बताती है जैसे- तंजौर और मधुबनी पेंटिंग जैसी पारंपरिक कला लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। यहां के स्वादिष्ट व्यंजन जो हर तेहवारों में खूब बनते हैं। 

भारत की संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है, जो करीब 5,000 साल पुरानी है। भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी है। भारत में लगभग 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं और यही नहीं भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में लगभग 400 अन्य भाषाएँ बोली जाती हैं। 

  • भारतीय संस्कृति में प्राचीन सभ्यताओं से लेकर वर्तमान समय तक कई रोचक तथ्य हैं।
  • भारतीय संस्कृति में विश्व के सबसे पुराने शहरों वाराणसी को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी नामित किया गया।
  • भारत में स्थित दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल भारतीय संस्कृति को दर्शाती है, जिसे देखने ले किये देश-विदेश से लोग एते हैं।
  • भारतीय संस्कृति से जुड़ा है दुनिया का सबसे लंबा महाकाव्य, महाभारत। जिसमें किंवदंती में 1 लाख से अधिक दोहे (श्लोक) हैं।

भारतीय संस्कृति कि हर पहलू में विविधता है, वो चाहे धार्मिक प्रथा हो या त्योहार, पारंपरिक कला। हमारी भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के लिए महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस और कई अन्य जैसे लोकप्रिय नेताओं ने स्वतंत्रता-पूर्व युग में बड़े पैमाने पर आंदोलनों का नेतृत्व किया था। हमारी संस्कृति हमारी पहचान है, क्योंकि यह हमें एक पहचान देती है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।

भारतीय संस्कृति और इसकी परंपरा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। भारतीय संस्कृति ने हमेशा शांति और सद्भाव को बढ़ावा दिया जाता है। भारतीय मूल के धर्म हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म हैं। ये सभी धर्म कर्म और धर्म पर आधारित हैं। इसके अतिरिक्त इन चारों को भारतीय धर्म कहा जाता है।

भारतीय संस्कृति का केंद्र हिंदू धर्म है.

वैदिक सभ्यता। 

देव संस्कृति है। 

पुरूषार्थ चतुष्टय-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। 

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Indian Culture in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

' src=

सीखने का नया ठिकाना स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म Leverage Eud. जया त्रिपाठी, Leverage Eud हिंदी में एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। 2016 से मैंने अपनी पत्रकारिता का सफर अमर उजाला डॉट कॉम के साथ शुरू किया। प्रिंट और डिजिटल पत्रकारिता में 6 -7 सालों का अनुभव है। एजुकेशन, एस्ट्रोलॉजी और अन्य विषयों पर लेखन में रुचि है। अपनी पत्रकारिता के अनुभव के साथ, मैं टॉपर इंटरव्यू पर काम करती जा रही हूँ। खबरों के अलावा फैमली के साथ क्वालिटी टाइम बिताना और घूमना काफी पसंद है।

Leave a Reply Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Contact no. *

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

culture of india essay in hindi

Resend OTP in

culture of india essay in hindi

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

January 2025

September 2025

What is your budget to study abroad?

culture of india essay in hindi

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

  • LIVE Programming Course
  • Calculators
  • English Blog

Logo

प्रस्तावना –

भारत विविधताओं का देश है, जहां अलग-अलग धर्म, जाति, पंथ, लिंग के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है। भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बाबजूद भी आज अपने नैतिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए हुए है।

प्रेम, धर्म, राजनीति, दर्शन, भाईचारा, सम्मान, आदर, परोपकार, भलाई, मानवीयता, आदि भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं हैं। भारत में रहने वाले सभी लोग सभी अपनी संस्कृति का आदर करते हैं और इसकी गरिमा को बनाए रखने में अपना सहयोग करते हैं।

संस्कृति की परिभाषा एवं संस्कृति शब्द का अर्थ – Meaning of Culture

किसी देश, जाति, समुदाय आदि की पहचान उसकी संस्कृति से ही होती है। संस्कृति, देश के सभी जाति, धर्म, समुदाय को उसके संस्कारों का बोध करवाती है।

जिससे उन्हें अपने जीवन के आदर्शों और नैतिक मूल्यों पर चलने की प्रेरणा मिलती है और अच्छी भावनाओं का विकास होता है। विरासत में मिले विचार, कला, शिल्प, वस्तु आदि ही किसी देश की मूल संस्कृति कहलती है।

संस्कृति शब्द का मुख्य रुप से संस्कार से बना हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सुधारने अथवा शुद्धि करने वाली या फिर परिष्कार करने वाली। वहीं चार वेदो में से एक यजुर्वेद में संस्कृति को सृष्टि माना गया है, जो समस्त विश्व में वरण करने योग्य होती है।

जीवन को सम्पन्न करने के लिए मूल्यों, मान्यताओं एवं स्थापनाओं का समूह ही संस्कृति कहलाता है, सीधे शब्दों में संस्कृति का सीधा संबंध मनुष्य के जीवन के मूल्यों से होता है।

सभ्यता एवं संस्कृति:

सभ्यता और संस्कृति को भले ही आज एक-दूसरे का पर्याय कहा जाता हो, लेकिन दोनों एक-दूसरे से काफी अलग-अलग होती हैं। सभ्यता का सबंध मानव जीवन के बाहरी ढंग अथवा भौतिक विकास से होता है, जैसे उसका रहन-सहन, खान-पान, भाषा आदि। संस्कृति का सीधा अभिप्राय मनुष्य की सोच, चिंतन, अध्यात्म, विचारधारा आदि से होता है।

संस्कृति का क्षेत्र काफी व्यापक और गहन होता है। इसके तहत आन्तरिक गुण जैसे विन्रमता, सुशीलता, सहानुभूति, सहृदयता, एवं सज्जनता आदि आते हैं जो इसके मूल्य व आदर्श होते हैं।

हालांकि, सभ्यता एवं संस्कृति का आपस में काफी घनिष्ठ संबंध होता है, क्योंकि मनुष्य अपने विचारों से ही किसी वस्तु को बनाता है।

विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति के रुप में भारतीय संस्कृति:

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है, लेकिन आधुनिकता और पाश्चात्य शैली अपनाने के बाबजूद आज भी भारतीय संस्कृति ने अपने मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को बना कर रखा है।

इतिहासकारों के मुताबिक भारतीय संस्कृति के सबसे प्राचीनतम होने का प्रमाण मध्यप्रदेश के भीमबेटका में मिले शैलचित्र एवं नृवंशीय व पुरातत्वीय अवशेषों और नर्मदा घाटी में की गई खुदाई से सिद्ध हुआ है।

इसके अलावा सिंधु घाटी की सभ्यता में किए गए कुछ उल्लेखों से यह ज्ञात होता है कि आज से करीब 5 हजार साल पहले भारतीय संस्कृति का उदगम हो चुका था। यह नहीं वेदों में भारतीय संस्कृति का उल्लेख भी इसकी प्राचीनता का एक बड़ा प्रमाण है।

भारतीय संस्कृति क्यों हैं विश्व की समृद्ध संस्कृति और इसकी विशिष्टताएं:

भारतीय संस्कृति में कई अलग-अलग धर्म, समुदाय, जाति पंथ आदि के लोगों के रहने के बाद भी इसमें विविधता में एकता है। भारतीय संस्कृति के आदर्श एवं मूल्य ही इसे विश्व में एक अलग सम्मान दिलवाती है और समृद्ध बनाती है। भारतीय संस्कृति की कुछ प्रमुख विशेषताएं नीचे दी गई हैं –

भारतीय संस्कृति आज भी अपने मूल रुप-स्वरूप में जीवित है:

भारतीय संस्कृति की निरंतरता ही इसकी प्रमुख विशेषता है, विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बाबजूद आज भी यह अपने मूल रुप में जीवित है। वहीं आधुनिकता के इस युग में आज भी कई धार्मिक परंपराएं, रीति-रिवाज, धार्मिक अनुष्ठान कई हजार सालों के बाद भी वैसे ही चले आ रहे हैं। धर्मों और वेदों में लोगों की अनूठी आस्था आज भी भारतीय संस्कृति की पहचान को बरकरार रखे हुए है।

सहनशीलता एवं सहिष्णुता:

भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत सहिष्णुता और सहनशीलता है। भारतीयों के साथ अंग्रजी शासकों एवं आक्रमणकारियों द्धारा काफी क्रूर व्यवहार किया गया और उन पर असहनीय जुर्म ढाह गए, लेकिन भारतीयों ने देश में शांति बनाए रखने के लिए कई हमलावरों के अत्याचारों को सहन किया।

वहीं सहनशीलता का गुण भारतीयों को उसकी संस्कृति से विरासत में मिला है। वहीं कई महापुरुषों ने भी सहिष्णुता की शिक्षा दी है।

आध्यात्मिकता, भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषता:

भारतीय संस्कृति, का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रुप से धर्म, कर्म एवं ईश्वरीय विश्वास से जुड़ी हुई है। भारतीय संस्कृति में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपने परमेश्वर पर अटूट आस्था एवं विश्वास है।

भारतीय संस्कृति में कर्म करने की महत्वता:

भारतीय संस्कृति में कर्म करने पर बल दिया गया है। यहां कर्म को ही पूजा माना गया है। वहीं कर्म करने वाला पुरुष ही अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाता है और अपने जीवन में सफल होता है।

आपसी प्रेम एवं भाईचारा:

भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति प्रेम, परोपकार, सद्भाव एवं भलाई की भावना निहित है, जो इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।

अनेकता में एकता – Anekta Mein Ekta

भारत में अलग-अलग जाति, धर्म, लिंग, पंथ, समुदाय आदि के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन, बोल-चाल एवं खान-पान में काफी विविधता है, लेकिन फिर भी सभी भारतीय आपस में मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं, इसलिए अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है।

नैतिक एवं मानवीय मूल्यों का महत्व:

भारत संस्कृति के तहत नैतिक एवं मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है। जिसमें विचार, शिष्टाचार, आदर्श, दर्शन, राजनीति, धर्म आदि शामिल हैं।

भारतीयों के संस्कार हैं इसकी विशेषता:

भारतीय मूल के व्यक्ति की शिष्टता एवं अच्छे संस्कार जैसे बड़ों का आदर करना, अनुशासन में रहना, परोपकार एवं भलाई करना, जीवों के प्रति दया का भाव रखना एवं अच्छे कर्म करना ही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है।

शिक्षा का महत्व – Shiksha Ka Mahatva

भारतीय संस्कृति में शिक्षा को खास महत्व दिया गया है। यहां शिक्षित व्यक्ति को ही सम्मान दिया जाता है, जबकि अशिक्षित व्यक्ति का सही रुप से मानसिक, नैतिक एवं शारीरिक विकास नहीं होने की वजह से उसे समाज में उपेक्षित किया जाता है वहीं अशिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में दर-दर की ठोकरें खाता है।

राष्ट्रीयता की भावना:

भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना निहित है। राष्ट्र पर जब भी कोई संकट आया है, तब-तब भारतीयों ने एक होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है।

अतिथियों का सम्मान:

भारतीय संस्कृति में अतिथियों को भगवान का रुप माना गया है। हमारे देश में आने वाले मेहमानों का खास तरीके से स्वागत कर उनको सम्मान दिया जाता है। वहीं अगर कोई दुश्मन भी मेहमान बनकर आता है तो उसका स्वागत सत्कार करना प्रत्येक भारतीय अपना फर्ज समझता है।

गुरुओं का विशिष्ट स्थान:

भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से ही गुरुओं को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही मनुष्य को सही कर्तव्यपथ पर चलने के योग्य बनाता है और उसे समस्त संसार का बोध करवाता है।

मनुष्य के अंदर जो भी गुण समाहित होते हैं, वो उसे उसकी संस्कृति से विरासत में मिलते हैं और उसे एक सामाजिक एवं आदर्श प्राणी बनाने में मद्द करते हैं। वहीं मानव कल्याण एवं विकास के लिए सभी सहायक संपूर्ण ज्ञानात्मक, विचारात्मक, एवं क्रियात्मक गुण उसकी संस्कृति कहलाते हैं।

भारतीय संस्कृति इसके नैतिक मूल्यों, आदर्शों एवं अपनी तमाम विशिष्टताओं की वजह से पूरी दुनिया में विख्यात है और दुनिया की सबसे समृद्ध संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है जहां सभी लोग एक परिवार की तरह रहते हैं।

  • Essay in Hindi

I hope this “Essay on Indian Culture in Hindi” will like you. If you like these “Essay on Indian Culture in Hindi” then please like our facebook page & share on WhatsApp.

Thanks for the help and I hope it helps others also and they can understand it easily….for their exams

thank you so much this essay is very useful for me I score 30/30 in my exam

boht sundar essay thank you

LEAVE A REPLY Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Terms and Conditions

Privacy Policy

Coming soon

Competitive

Programming

Smart Maths

Logo

 Essay on Indian Culture In Hindi 300 Words

भारत की संस्कृति बहुत सारी चीजों से मिल जुलकर बनी है जैसे की विरासत के विचार, लोगों की जीवन शैली, मान्यताएँ, रीति-रिवाज़, मूल्य, आदतें अदि। भारत की संस्कृति, भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिंधु घाटी की सभ्यता के दौरान आगे बढ़ी और चलते-चलते वैदिक युग में विकसित हुई। भारत विश्व के उन प्राचीन देशो में से एक है जिसमे बौद्ध धर्म और स्वर्ण युग की शुरुआत हुई, जिसमे खुद की एक अलग प्राचीन विश्व विरासत शामिल है।

संस्कृति दूसरों से व्यवहार करने का, प्रतिक्रिया, मूल्यों को समझना, मान्यताओं को मानने का एक तरीका है। दुनिआ भर के अलग अलग देशो की अपनी भिन-भिन संस्कृति है, और सभी को अपनी संस्कृति पर नाज़ है। भारत की संस्कृति में पड़ोसी देशों के रीति-रिवाज, परंपरा और विचारों का अभी बहुत समावेश है। भारत हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे अन्य कई धर्मों का जनक है। दिन भर के सभी कार्यो में अपने देश के संस्कृति के झलक मिल जाती है जैसे कि नृत्य, संगीत, कला, व्यवहार, सामाजिक नियम, भोजन, हस्तशिल्प, वेशभूषा आदि।

विश्व कि प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक होने के कारन भारतीय संस्कृति विश्व के इतिहास में बहुत महत्व रखती है। भारत कि संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है। प्राचीनता के साथ इसकी दूसरी विशेषता अमरता और तीसरी जगद्गुरु होना है।

पुराणी पीढ़ी के लोग नयी पीढ़ी को अपनी संस्कृति और मान्यताओं को सौंपते है, जो खुद बूढ़े होने पर आने वाली पीढ़ी को सौंप देते है। इसी तरह ये संस्कृति आगे बढ़ती जाती है और विशाल रूप धारण कर लेती है। इसी संस्कृति की वजह से ही सभी बच्चे अच्छे वे व्यवहार करते ही क्योकि ये संस्कृति उन्हें उनके दादा-दादी और नाना-नानी से मिली। ये हमारे भारत देश कि ही संस्कृति है जहा घर ए मेहमान कि सेवा की जाती है और मेहमान को भगवन का दर्जा दिया जाता है। इसी वजह से भारत में “अतिथि देवो भव:” का कथन बेहद प्रसिद्ध है।

Essay on Indian Culture In Hindi 1000 Words

संस्कृति-सामाजिक संस्कारों का दूसरा नाम है जिसे कोई समाज विरासत के रूप में प्राप्त करता है। दूसरे शब्दों में संस्कृति एक विशिष्ट जीवन शैली है, एक ऐसी सामाजिक विरासत है जिसके पीछे एक लम्बी परम्परा होती है।

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम तथा महत्त्वपूर्ण संस्कृतियों में से एक है, किंतु यह कब और कैसे विकसित हुई, यह कहना कठिन है। प्राचीन ग्रंथों के आधार पर इसकी प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है। वेद संसार के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। भारतीय संस्कृति के मूलरूप का परिचय हमें वेदों से मिलता है। वेदों की रचना ईसा से कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। सिंधु घाटी की सभ्यता का विवरण भी भारतीय संस्कृति की प्राचीनता पर प्रकाश डालता है। इसका इतना लंबा और अखंड इतिहास इसे महत्त्वपूर्ण बनाता है। मिस्र, यूनान और रोम आदि देशों की संस्कृतियां आज केवल इतिहास बन कर सामने हैं, जबकि भारतीय संस्कृति एक लम्बी ऐतिहासिक परम्परा के साथ आज भी निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। महाकवि इकबाल के शब्दों में -
यूनान, मिस्र, रोमां सब मिट गए जहाँ से। 
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।।

आखिर यह बात क्या है ? भारत में समय-समय पर ईरानी, यूनानी, शक, कुषाण, हूण, अरब, तुर्क, मंगोल आदि जातियाँ आईं लेकिन भारतीय संस्कृति ने अपने विकास की प्रक्रिया में इन सभी को आत्मसात कर लिया और उनके अच्छे गुणों को ग्रहण करके उन्हें अपने रंग-रूप में ऐसा ढाला कि वे आज भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। भारत ने वे सभी विचार, आचार-व्यवहार स्वीकार कर लिए जो उसकी दृष्टि में समाज के लिए उपयोगी थे। अच्छे विचारों को ग्रहण करने में भारतीय संस्कृति ने कभी परहेज नहीं किया। विविध संस्कृतियों को पचाकर उन्हें एक सामाजिक स्वरूप दे देना ही भारतीय संस्कृति के कालजयी होने का कारण है।’ अनेकता में एकता’ ही भारतीय संस्कृति की विशिष्टता रही है। कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर ने भारत को ‘महामानवता का सागर’ कहा है। यह सचमुच महासागर है। यह – जाति, धर्म, भाषा-साहित्य, कला-कौशल आदि की अनेक सरिताओं द्वारा समृद्ध महामानवता का महासागर है। संसार के सभी प्रमुख धर्म भारत में प्रचलित हैं। सनातन धर्म (हिंदू), जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, इस्लाम, सिख सभी धर्मों को मानने वाले लोग यहां रहते हैं। भाषा की दृष्टि से यहां लगभग 150 भाषाएं बोली जाती हैं। यहाँ ‘ढाई कोस पर बोली बदले’ वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है। संसार के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद के रूप में साहित्य की जो प्रथम धारा यहीं फूटी थी, वही समय के साथ संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिंदी, गुजराती, बंगला, तथा तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ आदि के माध्यमों से विकसित हुई और फ़ारसी तथा अंग्रेजी साहित्य ने भी उसे ग्रहण किया।

नृत्य और संगीत के क्षेत्र में भी यही समन्वय देखने को मिलता है। भारत नाट्यम, ओडिसी, कुच्चिपुड़ि, कथकली, मणिपुरी, कत्थक नृत्य शैली में मुगल दरबार की संस्कृति का बड़ा सुंदर रूप देखने को मिलता है। भारतीय संगीत में भी हमें विविधता में एकता के दर्शन होते हैं। सामगान से उत्पन्न भारतीय संगीत के विकास के पीछे भी समन्वय की एक लम्बी परम्परा है। यह लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत दोनों को अपने में समेटे हुए है। हिन्दुस्तानी तथा कर्नाटक शास्त्रीय संगीत दोनों में ही अनेक लोकधुनों ने राग-रागिनियों के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली है। ईरानी संगीत का प्रभाव आज भी अनेक राग-रागिनियों और वाद्य यंत्रों पर स्पष्ट दिखाई देता है। हिन्दुस्तानी संगीत की समद्धि में तो अनेक मुस्लिम संगीतकारों का योगदान रहा है।

साहित्य और संगीत के समान भारतीय वास्तुकला और मूर्तिकला में भी विविधता में एकता दिखाई देती है। इससे भारत में आई विभिन्न जातियों की कलाशैलियों के पूरे इतिहास की झलक देखने को मिलती है। इसमें एक ओर तो शक, कुषाण, गांधार, ईरानी, यूनानी शैलियों से प्रभावित धाराएँ आ जुड़ी हैं तो दूसरी ओर इस्लामी और ईसाई सभ्यता से प्रभावित धाराएँ, किंतु ये सब धाराएँ मिलकर भारतीय कला को एक विशिष्ट रूप प्रदान करती हैं।

भारत पर्वो एवं उत्सवों का देश है। हमारे पर्व एवं त्योहार अनेकता में हमारी सांस्कृतिक एकता को दर्शाते हैं। दीपावली, दशहरा, बैशाखी, पोंगल, ओणम, मकर संक्रांति, गुरुपर्व, बिहू, ईद-उल-फ़ितर, ईद-उल-जुहा, क्रिसमस, नवरोज आदि में भारतीय संस्कृति की इसी एकात्मकता के दर्शन होते हैं। इन सभी पर्यों एवं त्योहारों ने हमारे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया हुआ है। ये सभी भारतीय संस्कृति की एकता जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं और हमें ये बार-बार अनुभव कराते हैं कि हमारी परम्परा और हमारी संस्कृति मूलत: एक है।
देश के विभिन्न भागों में बसे लोग भाषा, धर्म, वेशभूषा, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाज़ आदि की दृष्टि से भले ही ऊपरी तौर पर एक दूसरे से भिन्न दिखाई देते हैं, किंतु इन विभिन्नताओं के बावजूद भारत एक सांस्कृतिक इकाई है।

वस्तुत: अनेकरूपता ही किसी राष्ट्र की जीवंतता, संपन्नता तथा समृद्धि का द्योतक है। भारतीय संस्कृति की समृद्धि तथा गरिमा इसी अनेकता का परिणाम है। इस अनेकता ने ही धर्म, जाति, वर्ग, काल की सीमाओं से ऊपर उठकर भारतीय संस्कृति को एकात्मकता प्रदान की है और महामानवता के एक सागर के रूप में प्रतिष्ठित किया है।

Other Hindi Essay

Essay on Festivals of India in Hindi

Mera Punjab Essay in Hindi

Mere Sapno Ka Bharat essay in Hindi

Essay on Democracy in Hindi

One Nation One Election Essay in Hindi

Uniform Civil Code essay in Hindi

Thank you for reading. Do not forget to give your feedback.

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on LinkedIn (Opens in new window)
  • Click to share on Pinterest (Opens in new window)
  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)

About The Author

culture of india essay in hindi

Hindi In Hindi

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Email Address: *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Notify me of follow-up comments by email.

Notify me of new posts by email.

HindiinHindi

  • Cookie Policy
  • Google Adsense

achhigyan.com

भारतीय संस्कृति की जानकारी, इतिहास | Culture of India in Hindi

भारत एक ऐसा देश है जहाँ एक से ज्यादा धार्मिक संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। ‘अनेकता में एकता’ सिर्फ कुछ शब्द नहीं हैं, बल्कि यह एक ऐसी चीज़ है जो भारत जैसे सांस्कृतिक और विरासत में समृद्ध देश पर पूरी तरह लागू होती है। भारत के बहु-सांस्‍कृतिक भण्‍डार और विश्‍वविख्‍यात विरासत के सतत अनुस्‍मारक के रूप में भारतीय इतिहास के तीन हज़ार से अधिक वर्ष की जानकारी और अनेक सभ्‍यताओं के विषय में बताया गया है। आइये जाने भारतीय संस्कृति (Indian Culture) के बारे में ..

भारतीय संस्कृति की जानकारी | Culture of India in Hindi

भारतीय संस्कृति का इतिहास, जानकारी – Indian Culture History in Hindi

भारत के निवासी और उनकी जीवन शैलियाँ, उनके नृत्‍य और संगीत शैलियाँ, कला और हस्‍तकला जैसे अन्‍य अनेक विधाएँ भारतीय संस्‍कृति और विरासत के विभिन्‍न वर्णों को प्रस्तुत करती हैं, जो देश की राष्ट्रीयता का सच्‍चा चित्र प्रस्‍तुत करते हैं। भारत की संस्कृति कई चीज़ों को मिला-जुलाकर बनती है जिसमें भारत का इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है।

भारतीय संस्कृति विश्व की प्रधान संस्कृति है, यह कोई गर्वोक्ति नहीं, बल्कि वास्तविकता है। हज़ारों वर्षों से भारत की सांस्कृतिक प्रथाओं, भाषाओं, रीति-रिवाज़ों आदि में विविधता बनी रही है जो कि आज भी विद्यमान है और यही अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की महान् विशेषता है। भारत कई धार्मिक प्रणालियों (religious systems), जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं (traditions) ने विश्व के अलग – अलग हिस्सों को भी काफ़ी प्रभावित किया है।

कुछ आदर्श वाक्य या बयान, भारत के उस दर्जे को बयां नहीं कर सकते जो उसने विश्व के नक्शे पर अपनी रंगारंग और अनूठी संस्कृति से पाया है। मौर्य, चोल और मुगल काल और ब्रिटिश साम्राज्य के समय तक भारत हमेशा से अपनी परंपरा और आतिथ्य के लिए मशहूर रहा। रिश्तों में गर्माहट और उत्सवों में जोश के कारण यह देश विश्व में हमेशा अलग ही नजर आया। इस देश की उदारता और जिंदादिली ने बड़ी संख्या में सैलानियों को इस जीवंत संस्कृति की ओर आकर्षित किया, जिसमें धर्मों, त्यौहारों, खाने, कला, शिल्प, नृत्य, संगीत और कई चीजों का मेल है। ‘देवताओं की इस धरती’ में संस्कृति, रिवाज़ और परंपरा से लेकर बहुत कुछ खास रहा है।

किसी भी देश के विकास में उसकी संस्कृति का बहुत योगदान होता है। देश की संस्कृति, उसके मूल्य, लक्ष्य, प्रथाएं और साझा विश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारतीय संस्कृति कभी कठोर नहीं रही इसलिए यह आधुनिक काल में भी गर्व के साथ जिंदा है। यह दूसरी संस्कृतियों की विशेषताएं सही समय पर अपना लेती है और इस तरह एक समकालीन और स्वीकार्य परंपरा के तौर पर बाहर आती है। समय के साथ चलते रहना भारतीय संस्कृति की सबसे अनूठी बात है।

भारतीय संस्कृति –

भाषा :- भारत में बोली जाने वाली भाषाएं बड़ी संख्या में यहां के संस्कृति और पारंपरिक विविधता को बढ़ाया गया है। 1000 (यदि आप प्रादेशिक बोलियों और प्रादेशिक शब्दों को गिनें तो, यदि आप उन्हें नहीं गिने जाते हैं तो ये संख्या घटती है 216 रह जाती है) भाषाएँ ऐसी हैं जो कि अधिक से अधिक लोगों की समूह द्वारा बोली जाती है, जबकि कई ऐसे भाषाएँ भी हैं जिन्हें 10,000 से कम लोग ही बोलते हैं।

धर्मनिरपेक्षताः –  भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के मामले में सबसे आगे है। पूजा और अपने धर्म के पालन की आजादी भारत में विविध संस्कृतियों के सामंजस्यपूर्ण अस्तित्व की अभिव्यक्ति है। ना किसी धर्म को नीची नज़र से देखा जाता है, ना किसी को खास उंचा स्थान दिया जाता है। वास्तव में मुसीबत के समय सभी धर्म अपने सांस्कृतिक मतभेद होने के बाद भी साथ आते हैं और विविधता में एकता दिखाते हैं।

अभिवादन के तरीके :-  भारत एक ऐसी धरती है जिसके अभिवादन के तरीके बहुत अलग अलग हैं। यहां हर धर्म का अपना अलग अभिवादन का तरीका है।

धर्म :- अब्राहमिक के बाद भारतीय धर्म (भारतीय धर्म) विश्व के धर्मों में प्रमुख हैं, जिसमें हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म, जैन धर्म, आदि जैसे धर्म शामिल हैं, आज, हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म क्रमशः दुनिया में तीसरे और चौथा सबसे बड़ा धर्म है, जिनमें लगभग 1.4 अरब अनुयायी हैं। इसके आलावा 13.4% हिस्से के कुल भारतीय जनसंख्यक इस्लाम धर्म को मानता ​​है।

वस्त्र-धारण :-  महिलाओं के लिए पारंपरिक भारतीय कपडों में शामिल हैं, साड़ी, सलवार कमीज़ (salwar kameez) और घाघरा चोली (लहंगा) धोती, लुंगी (Lungi), और कुर्ता पुरुषों (men) के पारंपरिक वस्त्र हैं। हालाँकि समय के साथ नए फैशन पर भी भारतीय आगे हैं।

इतिहास :- भारत देश दुनिया के सबसे प्राचीन देशो में एक माना जाता हैं। इस अद्भुत उपमहाद्वीप का इतिहास लगभग 4,00,000 ई. पू. और 2,00,000 ई. पू. पुराना हैं। भारतीय साहित्य की सबसे पुरानी या प्रारंभिक कृतियाँ मौखिक (orally) रूप से प्रेषित थीं। संस्कृत साहित्य की शुरुआत होती है 5500 से 5200 ईसा पूर्व के बीच संकलित ऋग्वेद से जो की पवित्र भजनों का एक संकलन है।

संगीत :- भारतीय संगीत का प्रारंभ वैदिक काल से भी पूर्व का है। पंडित शारंगदेव कृत “संगीत रत्नाकर” ग्रंथ मे भारतीय संगीत की परिभाषा “गीतम,वादयम् तथा नृत्यं त्रयम संगीत मुच्यते” कहा गया है। भारतवर्ष की सारी सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व रहा है। धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं में संगीत का प्रचलन प्राचीन काल से रहा है।इस रूप में, संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी जाती है। वैदिक काल में अध्यात्मिक संगीत को मार्गी तथा लोक संगीत को देशी कहा जाता था।

भारतीय गहने : – गहने पहनना भारत में एक लंबी परंपरा है। इसमें कोई शक नहीं है कि भारत में गहने सिर्फ व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए नहीं खरीदे जाते बल्कि शुभ अवसरों पर तोहफे में देने के लिए भी खरीदे जाते हैं। भारतीय समाज में इन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी दिया जाता है, इससे भारतीय संस्कृति में इनके महत्व और विशिष्टता का भी पता चलता है।

प्रकृति की पूजा :- आमतौर पर भारत में दिन सूर्य नमस्कार के साथ शुरु होता है। इसमें लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं और मंत्र पढ़कर प्रार्थना करते हैं। भारतीय लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और यह इस संस्कृति की अनूठी बात है।

चित्र :-  चित्रकारी में भारत का इतिहास अजंता और एलोरा की गुफाओं, ताड़ के पत्तों पर बौद्ध पांडुलिपियों और जैन ग्रंथों में प्रमुखता से दिखता है। चाहे अजंता के चित्रों का मुक्त रुप हो या पत्ता चित्रकारी या ग्लास चित्रकारी, भारत हमेशा से इस तरह की दृश्य कला के लिए मशहूर रहा है। भारतीय चित्रकारी में रचनात्मकता और रंगों का इस्तेमाल हमेशा से अनूठा और शालीन रहा है।

मूर्तियां :- चोल राजवंश से लेकर आज के युग तक दृश्य कला के अन्य माध्यम मूर्तिकला में भारत शीर्ष पर रहा है। कांचीपुरम, मदुरै और रामेश्वरम का डेक्कन मंदिर, ओडिशा का सूर्य मंदिर और मध्य प्रदेश का खजुराहो, यह सब पवित्र स्थान भारतीय कलाकारों के शिल्प कौशल का शानदार नमूना हैं। सांची के स्तूप की मूर्तियां बुद्ध के जीवन और विभिन्न लोक देवताओं पर प्रकाश डालती हैं। वास्तुकला के स्पर्श के साथ अमरावती और नागर्जनघोंडा की मूर्तियां बुद्ध और उनके समकक्षों के सामाजिक जीवन को दिखाती हैं। एलोरा के मंदिर और एलिफेंटा गुफाएं भारतीय मूर्तियों की महारत का खास नमूना हैं। वनस्पति और जीव जंतु, देवता और विभिन्न पौराणिक चरित्र, यह सब मिलकर इन सभी खूबसूरत दृश्य कलाओं की डिजाइन का आधार हैं।

उत्सव :- भारतीय संस्कृति में उत्सव का हमेशा से महत्व रहा हैं। जनवरी से दिसंबर तक हर महीने में विशेष त्यौहार या मेला आता है। मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, होली, राम नवमीं, जन्माष्टमी, दीपावली, ईद, महावीर जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, गुरु परब और क्रिसमस, हर धर्म के त्यौहार का अपना महत्व है और इन्हें बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

भोजन :- भारत में थाली की अवधारणा भी बहुत मशहूर है। थाली को परंपरागत तौर पर परोसा जाता है और इसमें आप एक ही भोजन में विविधता का मज़ा ले सकते हैं। कई राज्य और कई धर्म होने के कारण यहां व्यंजनों की संख्या भी बहुत है। अगर उत्तर भारत में छोले भटूरे, तंदूरी चिकन, राजमा चावल, कढ़ी चावल, ढोकला, दाल बाटी चूरमा और बिरयानी हैं तो दक्षिण भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। मसाला डोसा से लेकर रवा उत्तपम, रसम, सांभर-लेमन राइस और तोरन, अप्पम और मीन तक दक्षिण भारतीय व्यंजनों में बहुत प्रकार हैं।

एक नजर में भारतीय संस्कृति का महत्व –

⇒ यह संसार की  प्राचीनतम  संस्कृतियों में से है।  भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है।  मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से यह मिस्र, मेसोपोटेमिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं के समकालीन समझी जाने लगी है।

⇒ प्राचीनता के साथ इसकी दूसरी विशेषता  अमरता  है। चीनी संस्कृति के अतिरिक्त पुरानी दुनिया की अन्य सभी – मेसोपोटेमिया की सुमेरियन, असीरियन, बेबीलोनियन और खाल्दी प्रभृति तथा मिस्र ईरान, यूनान और रोम की-संस्कृतियाँ काल के कराल गाल में समा चुकी हैं, कुछ ध्वंसावशेष ही उनकी गौरव-गाथा गाने के लिए बचे हैं; किन्तु भारतीय संस्कृति कई हज़ार वर्ष तक काल के क्रूर थपेड़ों को खाती हुई आज तक जीवित है।

⇒ भारत की तीसरी विशेषता उसका  जगद्गुरु होना  है। उसे इस बात का श्रेय प्राप्त है कि उसने न केवल महाद्वीप-सरीखे भारतवर्ष को सभ्यता का पाठ पढ़ाया, अपितु भारत के बाहर बड़े हिस्से की जंगली जातियों को सभ्य बनाया, साइबेरिया के सिंहल (श्रीलंका) तक और मैडीगास्कर टापू, ईरान तथा अफगानिस्तान से प्रशांत महासागर के बोर्नियो, बाली के द्वीपों तक के विशाल भू-खण्डों पर अपनी अमिट प्रभाव छोड़ा।

⇒ भारतीय संस्कृति का केनवास विशाल है और उस पर हर प्रकार के रंग और जीवंतता है। यह देश कई सदियों से सहिष्णुता, सहयोग और अहिंसा का जीवंत उदाहरण रहा है और आज भी है। इसके विभिन्न रंग इसकी विभिन्न विचारधाराओं में मिलते हैं।

⇒ भारत का इतिहास भाईचारे और सहयोग के उदाहरणों से भरा पड़ा है। इतिहास में अलग अलग समय में विदेशी हमलावरों के कई वार झेलने के बाद भी इसकी संस्कृति और एकता कभी नहीं हारी और हमेशा कायम रही।

⇒ भारतीय संस्कृति में आश्रम – व्यवस्था के साथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थों का विशिष्ट स्थान रहा है।

और अधिक लेख –

  • प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत का इतिहास
  • पारसी धर्म का इतिहास, जानकारी, तथ्य
  • गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य-वंश का इतिहास

Related Posts

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास, जानकारी | Baidyanath Temple

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास, जानकारी | Baidyanath Temple in Hindi

सोमनाथ ज्योतिर्लिंगों मंदिर का इतिहास, जानकारी | Somnath Temple

सोमनाथ ज्योतिर्लिंगों मंदिर का इतिहास, जानकारी | Somnath Temple

Leave a comment cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भारतीय संस्कृति पर निबंध 10 lines (Indian Culture Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

Indian Culture Essay in Hindi –  भारत अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह कई अलग-अलग संस्कृतियों और परंपराओं वाला देश है। इस देश में विश्व की प्राचीन सभ्यताएं पाई जा सकती हैं। Indian Culture Essay अच्छे शिष्टाचार, शिष्टाचार, सभ्य संवाद, रीति-रिवाज, विश्वास, मूल्य आदि भारतीय संस्कृति के आवश्यक तत्व हैं। भारत एक विशेष देश है क्योंकि इसके नागरिक कई संस्कृतियों और परंपराओं के साथ सद्भाव से एक साथ रहने की क्षमता रखते हैं। यहां ‘भारतीय संस्कृति’ पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

भारतीय संस्कृति पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On ‘Indian Culture in Hindi)

  • किसी भी देश की संस्कृति उसकी सामाजिक संरचना, विश्वासों, मूल्यों, धार्मिक भावनाओं और मूल दर्शन को प्रदर्शित करती है।
  • भारत एक सांस्कृतिक रूप से विविध राष्ट्र है जहां हर समुदाय सौहार्दपूर्वक रहता है।
  • संस्कृति में अंतर बोली, पहनावे और धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं में परिलक्षित होता है।
  • भारत की विविधता दुनिया भर में जानी जाती है।
  • ये संस्कृतियां और परंपराएं भारत के गौरवशाली अतीत को उजागर करती हैं।
  • संगीत, नृत्य, भाषा आदि सहित हर क्षेत्र में भारत का एक अलग सांस्कृतिक दृष्टिकोण है।
  • भारत की संस्कृति और परंपराएं मानवता, सहिष्णुता, एकता और सामाजिक बंधन को दर्शाती हैं।
  • परंपरागत रूप से, हम नमस्कार, नमस्कारम, आदि कहकर लोगों का अभिवादन करते हैं।
  • देश के कई क्षेत्रों में युवा पीढ़ी सम्मान दिखाने के लिए बड़ों के पैर छूती है।
  • भारत की खान-पान की आदतों में सांस्कृतिक और पारंपरिक विविधताएं भी देखी जा सकती हैं।

भारतीय संस्कृति पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Indian Culture in Hindi)

भारत की संस्कृति दुनिया में सबसे पुरानी है और 5,000 साल से भी पुरानी है। दुनिया की पहली और सबसे बड़ी संस्कृति भारत की ही मानी जाती है। वाक्यांश “विविधता में एकता” भारत को एक विविध राष्ट्र के रूप में संदर्भित करता है जहां कई धर्मों के लोग अपने विशिष्ट रीति-रिवाजों को बनाए रखते हुए सह-अस्तित्व रखते हैं। अलग-अलग धर्मों के लोगों की अलग-अलग भाषाएं, पाक रीति-रिवाज, समारोह आदि हैं और फिर भी वे सभी सद्भाव में रहते हैं।

हिन्दी भारत की राजभाषा है। हालाँकि, देश की लगभग 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं के अलावा, भारत के कई राज्यों और क्षेत्रों में नियमित रूप से 400 अन्य भाषाएँ बोली जाती हैं। इतिहास ने भारत को एक ऐसे देश के रूप में स्थापित किया है जहां बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म जैसे धर्म सबसे पहले उभरे।

भारतीय संस्कृति पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Indian Culture in Hindi)

भारत विविध संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का देश है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत इसके लंबे इतिहास और देश में हुए विभिन्न आक्रमणों और बस्तियों का परिणाम है। भारतीय संस्कृति विभिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं का एक पिघलने वाला बर्तन है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है।

धर्म | भारतीय संस्कृति में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में प्रचलित प्रमुख धर्म हिंदू धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म हैं। प्रत्येक धर्म की अपनी मान्यताएं, रीति-रिवाज और प्रथाएं होती हैं। हिंदू धर्म, भारत का सबसे पुराना धर्म, प्रमुख धर्म है और इसमें देवी-देवताओं की एक विशाल श्रृंखला है। इस्लाम, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म भी व्यापक रूप से प्रचलित हैं और देश में उनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं।

खाना | भारतीय व्यंजन अपने विविध प्रकार के स्वादों और मसालों के लिए जाने जाते हैं। भारत में प्रत्येक क्षेत्र की खाना पकाने की अपनी अनूठी शैली और विशिष्ट व्यंजन हैं। भारतीय व्यंजन मसालों, जड़ी-बूटियों और विभिन्न प्रकार की खाना पकाने की तकनीकों के उपयोग के लिए जाने जाते हैं। कुछ सबसे प्रसिद्ध भारतीय व्यंजनों में बिरयानी, करी, तंदूरी चिकन और दाल मखनी शामिल हैं। भारतीय व्यंजन अपने स्ट्रीट फूड के लिए भी प्रसिद्ध है, जो कि भारतीय भोजन के विविध प्रकार के स्वादों का अनुभव करने का एक लोकप्रिय और किफायती तरीका है।

भारतीय संस्कृति पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Indian Culture in Hindi)

भारत समृद्ध संस्कृति और विरासत का देश है जहां लोगों में मानवता, सहिष्णुता, एकता, धर्मनिरपेक्षता, मजबूत सामाजिक बंधन और अन्य अच्छे गुण हैं। अन्य धर्मों के लोगों द्वारा बहुत सारी आक्रामक गतिविधियों के बावजूद, भारतीय हमेशा अपने सौम्य और सौम्य व्यवहार के लिए प्रसिद्ध हैं। अपने सिद्धांतों और आदर्शों में बिना किसी बदलाव के भारतीय लोगों की देखभाल और शांत स्वभाव के लिए हमेशा प्रशंसा की जाती है। भारत महान महापुरूषों का देश है जहां महान लोगों ने जन्म लिया और ढेर सारे सामाजिक कार्य किए। वे अभी भी हमारे लिए प्रेरक व्यक्तित्व हैं।

भारत वह भूमि है जहां महात्मा गांधी ने जन्म लिया और अहिंसा की एक महान संस्कृति दी। वह हमेशा हमें दूसरों से लड़ने के लिए नहीं कहते थे। इसके बजाय, यदि आप वास्तव में किसी चीज़ में बदलाव लाना चाहते हैं, तो उनसे विनम्रता से बात करें। उन्होंने हमें बताया कि इस धरती पर सभी लोग प्यार, सम्मान, देखभाल और सम्मान के भूखे हैं; यदि आप उन्हें सब कुछ देते हैं, तो वे निश्चित रूप से आपका अनुसरण करेंगे।

गांधी जी हमेशा अहिंसा में विश्वास करते थे और वास्तव में वे एक दिन ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी दिलाने में सफल हुए। उन्होंने भारतीयों से कहा कि वे अपनी एकता और सज्जनता की शक्ति दिखाएं और फिर बदलाव देखें। भारत पुरुषों और महिलाओं, जातियों और धर्मों आदि का अलग-अलग देश नहीं है। हालाँकि, यह एकता का देश है जहाँ सभी जातियों और पंथों के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं।

भारत में लोग आधुनिक हैं और आधुनिक युग के अनुसार सभी परिवर्तनों का पालन करते हैं; हालाँकि, वे अभी भी अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों के संपर्क में हैं। भारत एक आध्यात्मिक देश है जहाँ लोग आध्यात्मिकता में विश्वास करते हैं। यहां के लोग योग, ध्यान और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों में विश्वास करते हैं। भारत की सामाजिक व्यवस्था महान है; लोग अभी भी एक बड़े संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा, चाची, चाचा, ताऊ, चचेरे भाई, भाई, बहन आदि के साथ रहते हैं। इसलिए, यहां के लोग जन्म से ही अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में सीखते हैं।

भारतीय संस्कृति पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Indian Culture in Hindi)

भारत एक समृद्ध संस्कृति का दावा करने वाला देश है। भारत की संस्कृति छोटी अनूठी संस्कृतियों के संग्रह को संदर्भित करती है। भारत की संस्कृति में भारत में कपड़े, त्योहार, भाषाएं, धर्म, संगीत, नृत्य, वास्तुकला, भोजन और कला शामिल हैं। सबसे उल्लेखनीय, भारतीय संस्कृति अपने पूरे इतिहास में कई विदेशी संस्कृतियों से प्रभावित रही है। साथ ही, भारत की संस्कृति का इतिहास कई सहस्राब्दी पुराना है।

भारतीय संस्कृति के घटक

सबसे पहले, भारतीय मूल के धर्म हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म हैं। ये सभी धर्म कर्म और धर्म पर आधारित हैं। इसके अलावा, इन चारों को भारतीय धर्म कहा जाता है। भारतीय धर्म अब्राहमिक धर्मों के साथ-साथ विश्व धर्मों की एक प्रमुख श्रेणी है।

साथ ही भारत में भी कई विदेशी धर्म मौजूद हैं। इन विदेशी धर्मों में अब्राहमिक धर्म भी शामिल हैं। भारत में अब्राहमिक धर्म निश्चित रूप से यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम हैं। इब्राहीमी धर्मों के अलावा, पारसी धर्म और बहाई धर्म अन्य विदेशी धर्म हैं जो भारत में मौजूद हैं। नतीजतन, इतने सारे विविध धर्मों की उपस्थिति ने भारतीय संस्कृति में सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता को जन्म दिया है।

संयुक्त परिवार प्रणाली भारतीय संस्कृति की प्रचलित व्यवस्था है। सबसे उल्लेखनीय, परिवार के सदस्यों में माता-पिता, बच्चे, बच्चों के जीवनसाथी और संतान शामिल हैं। परिवार के ये सभी सदस्य एक साथ रहते हैं। इसके अलावा, सबसे बड़ा पुरुष सदस्य परिवार का मुखिया होता है।

भारतीय संस्कृति में अरेंज मैरिज का चलन है। संभवत: अधिकांश भारतीयों की शादियां उनके माता-पिता द्वारा नियोजित होती हैं। लगभग सभी भारतीय शादियों में दुल्हन का परिवार दूल्हे को दहेज देता है। भारतीय संस्कृति में विवाह निश्चित रूप से उत्सव का अवसर होता है। भारतीय शादियों में हड़ताली सजावट, कपड़े, संगीत, नृत्य, अनुष्ठानों की भागीदारी होती है। सबसे उल्लेखनीय, भारत में तलाक की दर बहुत कम है।

भारत बड़ी संख्या में त्योहार मनाता है। बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक भारतीय समाज के कारण ये त्यौहार बहुत विविध हैं। भारतीय उत्सव के अवसरों को बहुत महत्व देते हैं। इन सबसे ऊपर, मतभेदों के बावजूद पूरा देश उत्सव में शामिल होता है।

विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक भारतीय भोजन, कला, संगीत, खेल , कपड़े और वास्तुकला में काफी भिन्नता है। ये घटक विभिन्न कारकों से प्रभावित होते हैं। इन सबसे ऊपर, ये कारक भूगोल, जलवायु, संस्कृति और ग्रामीण/शहरी सेटिंग हैं।

भारतीय संस्कृति की धारणा

भारतीय संस्कृति अनेक लेखकों की प्रेरणा रही है। भारत निश्चित रूप से दुनिया भर में एकता का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति निश्चित रूप से बहुत जटिल है। इसके अलावा, भारतीय पहचान की अवधारणा में कुछ कठिनाइयाँ हैं। हालाँकि, इसके बावजूद, एक विशिष्ट भारतीय संस्कृति मौजूद है। इस विशिष्ट भारतीय संस्कृति का निर्माण कुछ आंतरिक शक्तियों का परिणाम है। इन सबसे ऊपर, ये ताकतें एक मजबूत संविधान, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, धर्मनिरपेक्ष नीति, लचीला संघीय ढांचा आदि हैं।

भारतीय संस्कृति एक सख्त सामाजिक पदानुक्रम की विशेषता है। इसके अलावा, भारतीय बच्चों को कम उम्र से ही समाज में उनकी भूमिका और स्थान के बारे में सिखाया जाता है। शायद, कई भारतीय मानते हैं कि उनके जीवन को निर्धारित करने में देवताओं और आत्माओं की भूमिका होती है। इससे पहले, पारंपरिक हिंदुओं को प्रदूषणकारी और गैर-प्रदूषणकारी व्यवसायों में विभाजित किया गया था। अब यह अंतर कम हो रहा है।

भारतीय संस्कृति निश्चित रूप से बहुत विविध है। इसके अलावा, भारतीय बच्चे मतभेदों को सीखते और आत्मसात करते हैं। हाल के दशकों में भारतीय संस्कृति में भारी परिवर्तन हुए हैं। इन सबसे ऊपर, ये परिवर्तन महिला सशक्तिकरण, पश्चिमीकरण, अंधविश्वास में गिरावट, उच्च साक्षरता, बेहतर शिक्षा आदि हैं।

इसे योग करने के लिए, भारत की संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है। इन सबसे ऊपर, कई भारतीय तेजी से पश्चिमीकरण के बावजूद पारंपरिक भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं। भारतीयों ने अपने बीच विविधता के बावजूद मजबूत एकता का प्रदर्शन किया है। अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति का परम मंत्र है।

भारतीय संस्कृति पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 भारतीय धर्म कौन से हैं.

A1 भारतीय धर्म धर्म की एक प्रमुख श्रेणी का उल्लेख करते हैं। सबसे उल्लेखनीय, इन धर्मों की उत्पत्ति भारत में हुई है। इसके अलावा, प्रमुख भारतीय धर्म हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म हैं।

Q2 हाल के दशकों में भारतीय संस्कृति में क्या परिवर्तन हुए हैं?

A2 निश्चित रूप से हाल के दशकों में भारतीय संस्कृति में कई परिवर्तन हुए हैं। इन सबसे ऊपर, ये परिवर्तन महिला सशक्तिकरण, पश्चिमीकरण, अंधविश्वास में गिरावट, उच्च साक्षरता, बेहतर शिक्षा आदि हैं।

दा इंडियन वायर

भारतीय संस्कृति पर निबंध

'  data-srcset=

By विकास सिंह

essay on indian culture in hindi

विषय-सूचि

भारतीय संस्कृति पर निबंध, essay on indian culture in hindi (100 शब्द)

भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए दुनिया भर में एक प्रसिद्ध देश है। यह विभिन्न संस्कृति और परंपरा की भूमि है। यह दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं का देश है। भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण घटक अच्छे शिष्टाचार, शिष्टाचार, सभ्य संचार, संस्कार, विश्वास, मूल्य आदि हैं।

सभी की जीवन शैली आधुनिक होने के बाद भी, भारतीय लोगों ने अपनी परंपराओं और मूल्यों को नहीं बदला है। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोगों के बीच एकजुटता की संपत्ति ने भारत को एक अनूठा देश बना दिया है। यहां के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं का पालन करते हुए भारत में शांति से रहते हैं।

भारतीय संस्कृति पर निबंध, essay on indian culture in hindi (150 शब्द)

indian culture essay in hindi

भारत की संस्कृति 5,000 वर्षों के आसपास दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति है। भारतीय संस्कृति को दुनिया की पहली और सर्वोच्च संस्कृति माना जाता है। भारत के बारे में एक आम कहावत है कि “अनेकता में एकता” का अर्थ है भारत एक विविधतापूर्ण देश है जहाँ कई धर्मों के लोग अपनी अलग संस्कृतियों के साथ शांति से रहते हैं। विभिन्न धर्मों के लोग अपनी भाषा, भोजन परंपरा, अनुष्ठान आदि में भिन्न होते हैं, हालांकि वे एकता के साथ रहते हैं।

भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी है, हालांकि इसकी विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में भारत में लगभग 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं और 400 अन्य भाषाएँ दैनिक बोली जाती हैं। इतिहास के अनुसार, भारत को हिंदू और बौद्ध धर्म जैसे धर्मों के जन्मस्थान के रूप में मान्यता दी गई है। भारत की विशाल जनसंख्या हिंदू धर्म से संबंधित है। हिंदू धर्म के अन्य रूप हैं शैव, शाक्त, वैष्णव आदि।

भारतीय संस्कृति पर निबंध, Indian culture essay in hindi (200 शब्द)

भारतीय संस्कृति ने दुनिया भर में बहुत लोकप्रियता हासिल की है। भारतीय संस्कृति को दुनिया की सबसे पुरानी और बहुत ही रोचक संस्कृति माना जाता है। यहां रहने वाले लोग विभिन्न धर्मों, परंपराओं, खाद्य पदार्थों, पहनावे आदि से संबंधित हैं। यहां रहने वाले विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग सामाजिक रूप से अन्योन्याश्रित हैं कि क्यों धर्मों की विविधता में मजबूत बंधन एकता का अस्तित्व है।

लोग विभिन्न परिवारों में जन्म लेते हैं, जातियां, उपजातियां और धार्मिक समुदाय एक समूह में शांति और संयम से रहते हैं। यहां के लोगों के सामाजिक बंधन लंबे समय तक चलने वाले हैं। सभी को अपनी पदानुक्रम और एक-दूसरे के प्रति सम्मान, सम्मान और अधिकारों की भावना के बारे में अच्छी भावना है।

भारत में लोग अपनी संस्कृति के प्रति अत्यधिक समर्पित हैं और सामाजिक संबंधों को बनाए रखने के लिए अच्छे शिष्टाचार जानते हैं। भारत में विभिन्न धर्मों के लोगों की अपनी संस्कृति और परंपरा है। उनका अपना त्योहार और मेला है और वे अपने अपने अनुष्ठानों के अनुसार मनाते हैं।

लोग विभिन्न प्रकार की खाद्य संस्कृति का पालन करते हैं जैसे पीटा चावल, बोंडा, ब्रेड ओले, केले के चिप्स, पोहा, आलू पापड़, फूला हुआ चावल, उपमा, डोसा, इडली, चीनी, इत्यादि। अन्य धर्मों के लोगों में सेवइयां, बिरयानी, जैसे कुछ अलग भोजन होते हैं जैसे तंदूरी, मैथी, आदि।

भारतीय संस्कृति पर अनुच्छेद, paragraph on indian culture in hindi (250 शब्द)

indian culture

भारत संस्कृतियों का एक समृद्ध देश है जहाँ लोग अपनी अपनी संस्कृति में रहते हैं। हम अपनी भारतीय संस्कृति का बहुत सम्मान करते हैं। संस्कृति सब कुछ है, अन्य विचारों, रीति-रिवाजों के साथ व्यवहार करने का तरीका, कला, हस्तशिल्प, धर्म, भोजन की आदतें, मेले, त्योहार, संगीत और नृत्य संस्कृति के अंग हैं।

भारत उच्च जनसंख्या वाला एक बड़ा देश है जहाँ विभिन्न संस्कृति के लोग अद्वितीय संस्कृति के साथ रहते हैं। देश के कुछ प्रमुख धर्म हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, शेखवाद और पारसी धर्म हैं। भारत एक ऐसा देश है जहाँ देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। यहां के लोग आमतौर पर वेशभूषा, सामाजिक मान्यताओं, रीति-रिवाजों और खाद्य-आदतों में किस्मों का उपयोग करते हैं।

लोग अपने-अपने धर्मों के अनुसार विभिन्न रिवाजों और परंपराओं को मानते हैं और उनका पालन करते हैं। हम अपने त्योहार अपने-अपने अनुष्ठानों के अनुसार मनाते हैं, उपवास रखते हैं, गंगे के पवित्र जल में स्नान करते हैं, पूजा करते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं, अनुष्ठान के गीत गाते हैं, नाचते हैं, स्वादिष्ट रात का भोजन करते हैं, रंगीन कपड़े पहनते हैं और बहुत सारी गतिविधियाँ करते हैं।

हम गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती जैसे विभिन्न सामाजिक आयोजनों को मिलाकर कुछ राष्ट्रीय त्योहार भी मनाते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न धर्मों के लोग अपने त्योहारों को बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाते हैं और एक-दूसरे को मनाए बिना।

गौतम बुद्ध (बुद्ध पूर्णिमा), भगवान महावीर जन्मदिन (महावीर जयंती), गुरु नानक जयंती (गुरुपर्व), इत्यादि जैसे कुछ कार्यक्रम कई धर्मों के लोगों द्वारा संयुक्त रूप से मनाया जाता है। भारत अपने विभिन्न सांस्कृतिक नृत्यों जैसे शास्त्रीय (भारत नाट्यम, कथक, कथकली, कुचिपुड़ी) और क्षेत्रों के अनुसार लोकगीतों के लिए प्रसिद्ध देश है।

पंजाबियों ने भांगड़ा का आनंद लिया, गुगराती ने गरबा करने का आनंद लिया, राजस्थानियों ने घूमर का आनंद लिया, असमिया ने बिहू का आनंद लिया, जबकि महाराष्ट्रियन ने लावोनी का आनंद लिया।

भारतीय संस्कृति पर लेख, article on indian culture in hindi (300 शब्द)

भारत समृद्ध संस्कृति और विरासत का देश है जहां लोगों में मानवता, सहिष्णुता, एकता, धर्मनिरपेक्षता, मजबूत सामाजिक बंधन और अन्य अच्छे गुण हैं। भारतीय हमेशा अपने सौम्य और सौम्य व्यवहार के लिए प्रसिद्ध होते हैं।

भारतीय लोग हमेशा अपने सिद्धांतों और आदर्शों में बदलाव के बिना उनकी देखभाल और शांत स्वभाव के लिए प्रशंसा करते हैं। भारत महान किंवदंतियों का देश है जहां महान लोगों ने जन्म लिया और बहुत सारे सामाजिक कार्य किए। वे अभी भी हमारे लिए प्रेरक व्यक्तित्व हैं।

भारत एक ऐसी भूमि है जहाँ महात्मा गांधी ने जन्म लिया था और अहिंसा की एक महान संस्कृति दी थी। उन्होंने हमेशा हमें बताया कि अगर आप वास्तव में किसी चीज में बदलाव लाना चाहते हैं तो उनसे विनम्रता से बात करें। उन्होंने हमें बताया कि इस धरती पर हर लोग प्यार, सम्मान, देखभाल और सम्मान के भूखे हैं; यदि आप उन सभी को देते हैं, तो निश्चित रूप से वे आपका अनुसरण करेंगे।

गांधी जी हमेशा अहिंसा में विश्वास करते थे और वास्तव में वे ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी दिलाने में एक दिन सफल हुए। उन्होंने भारतीयों से कहा कि एकता और सौम्यता की अपनी शक्ति दिखाएं और फिर परिवर्तन देखें। भारत अलग-अलग पुरुषों और महिलाओं, जातियों और धर्मों का देश नहीं है, लेकिन यह एकता का देश है जहां सभी जातियों और पंथों के लोग एक साथ रहते हैं।

भारत में लोग आधुनिक हैं और आधुनिक युग के अनुसार सभी परिवर्तनों का पालन करते हैं लेकिन वे अभी भी अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों के संपर्क में हैं। भारत एक आध्यात्मिक देश है जहाँ लोग आध्यात्मिकता में विश्वास करते हैं। यहां के लोग योग, ध्यान और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों में विश्वास करते हैं। भारत की सामाजिक प्रणाली महान है जहां लोग अभी भी दादा-दादी, चाचा, चाची, चाचा, ताऊ, चचेरे भाई, बहन, आदि के साथ बड़े संयुक्त परिवार में छोड़ते हैं, इसलिए, यहां के लोग जन्म से अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में सीखते हैं।

भारतीय संस्कृति पर निबंध, essay on indian culture in hindi (400 शब्द)

indian culture

भारत में संस्कृति सब कुछ है जैसे विरासत में मिले विचार, लोगों के रहन-सहन का तरीका, विश्वास, संस्कार, मूल्य, आदतें, देखभाल, सौम्यता, ज्ञान, आदि। भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है जहाँ लोग अभी भी मानवता की अपनी पुरानी संस्कृति का पालन करते हैं।

संस्कृति वह तरीका है जिससे हम दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं, चीजों के प्रति कितनी नरम प्रतिक्रिया देते हैं, मूल्यों, नैतिकता, सिद्धांतों और विश्वासों के प्रति हमारी समझ होती है। पुरानी पीढ़ियों के लोग अपनी अगली पीढ़ियों के लिए अपनी संस्कृतियों और मान्यताओं को पारित करते हैं, इसलिए, यहां हर बच्चा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करता है, क्योंकि वह पहले से ही माता-पिता और दादा-दादी से संस्कृति के बारे में जानता था।

हम यहां नृत्य, फैशन, कलात्मकता, संगीत, व्यवहार, सामाजिक मानदंड, भोजन, वास्तुकला, ड्रेसिंग सेंस आदि सभी चीजों में संस्कृति को देख सकते हैं। भारत विभिन्न मान्यताओं और व्यवहारों वाला एक बड़ा पिघलने वाला बर्तन है जिसने यहां विभिन्न संस्कृतियों को जन्म दिया।

यहाँ के विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति लगभग पाँच हज़ार वर्ष से बहुत पुरानी है। यह माना जाता है कि हिंदू धर्म की उत्पत्ति वेदों से हुई थी। सभी पवित्र हिंदू शास्त्रों को पवित्र संस्कृत भाषा में लिखा गया है। यह भी माना जाता है कि जैन धर्म की प्राचीन उत्पत्ति है और उनका अस्तित्व सिंधु घाटी में था।

बौद्ध धर्म एक और धर्म है जो देश में भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाओं के बाद उत्पन्न हुआ था। ईसाई धर्म बाद में लगभग दो शताब्दियों तक लंबे समय तक शासन करने वाले फ्रांसीसी और ब्रिटिश लोगों द्वारा यहां लाया गया था। इस तरह विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति प्राचीन समय में हुई थी या किसी भी तरह से इस देश में लाई गई थी। हालाँकि, प्रत्येक धर्म के लोग अपने अनुष्ठानों और मान्यताओं को प्रभावित किए बिना शांति से यहाँ रहते हैं।

युगों की विविधता आई और चली गई लेकिन हमारी वास्तविक संस्कृति के प्रभाव को बदलने के लिए कोई भी इतना शक्तिशाली नहीं था। युवा पीढ़ी की संस्कृति अभी भी गर्भनाल के माध्यम से पुरानी पीढ़ियों से जुड़ी हुई है। हमारी जातीय संस्कृति हमेशा हमें अच्छा व्यवहार करने, बड़ों का सम्मान करने, असहाय लोगों की देखभाल करने और हमेशा जरूरतमंद और गरीब लोगों की मदद करने की सीख देती है।

यह हमारी धार्मिक संस्कृति है कि हम उपवास रखें, पूजा करें, गंगाजल चढ़ाएं, सूर्य नमस्कार करें, परिवार में बड़े लोगों के चरण स्पर्श करें, दैनिक रूप से योग और ध्यान करें, भूखे और विकलांग लोगों को भोजन और पानी दें। हमारे राष्ट्र की महान संस्कृति है कि हमें हमेशा अपने मेहमानों का स्वागत एक भगवान की तरह करना चाहिए, बहुत खुशी के साथ, यही कारण है कि भारत “अतीथि देवो भव” जैसे एक आम कहावत के लिए प्रसिद्ध है। हमारी महान संस्कृति की मूल जड़ें मानवता और आध्यात्मिक अभ्यास हैं।

[ratemypost]

इस लेख से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

Related Post

As you like it summary in hindi (सारांश हिंदी में), 5 प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास जो हर थिएटर कलाकार को जरूर पढ़ने चाहिए, 10 तरीके जिनसे आप एक बेहतर सार्वजनिक वक्ता बन सकते हैं, leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

पूजा स्थल अधिनियम: अगली सुनवाई तक कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा-सुप्रीम कोर्ट

प्रस्तावना के ‘समाजवादी’ व ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को चुनौती और सर्वोच्च अदालत का फैसला, आपको हर सुबह भीगे हुए बादाम क्यों खाने चाहिए, digital arrest: सावधान जागते रहो……. .

Question and Answer forum for K12 Students

India Culture Essay In Hindi

भारतीय संस्कृति निबंध – India Culture Essay In Hindi

भारतीय संस्कृति पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on india culture in hindi), उपभोक्तावाद और भारत की संस्कृति – consumerism and culture of india.

  • प्रस्तावना,
  • भारत की संस्कृति,
  • पाश्चात्य संस्कृति का दुष्प्रभाव,
  • उपभोक्तावाद,
  • उदारवाद और आर्थिक सुधार,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना– संसार में अपने लिए तो सभी जीते हैं, किन्तु क्या इसको जीवन कहा जा सकता है? जो दूसरों के हितार्थ अपना सुख–चैन त्याग सकता है, वास्तविक जीवन तो वही जी रहा है। व्यक्ति के हित से सामाजिक तथा राष्ट्रीय हित को ऊपर मानना ही समाजवाद है। समाजवाद में संग्रह नहीं त्याग–बलिदान को ही महत्त्वपूर्ण माना गया है। ‘महाभारत’ में समाजवाद की धारणा को इस प्रकार व्यक्त किया गया है–

त्यजेत् एकं कुलस्यार्थे, ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत्। ग्रामम् जनपदस्यार्थे , आत्मार्थे पृथ्वीं त्यजेत्।।

कुल के हित के लिए एक व्यक्ति, ग्राम के हितार्थ एक कुटुम्ब, जनपद के हित के लिए ग्राम के हितों को तथा आत्म– हित के लिए पृथ्वी को ही छोड़ देना उचित बताया गया है।

भारत की संस्कृति– भारतीय संस्कृति संग्रह नहीं त्याग की शिक्षा देती है। सत्य, अहिंसा, शान्ति, जीव रक्षा, क्षमा उसके आदर्श हैं। सभी प्राणियों को अपने समान देखने वाले को ही भारत में पण्डित माना गया है-

आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति सः पण्डितः।

विद्या सभी को सुशिक्षित और ज्ञानी बनाने तथा धन दूसरों को दान देने के लिए होता है। इस प्रकार परमार्थ ही भारतीय संस्कृति का लक्ष्य है। यहाँ व्यापार धन कमाकर धनवान बनने के लिए नहीं किया जाता, समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। भारतीय संस्कृति में शक्ति दूसरों की रक्षा के लिए होती है, उत्पीड़न के लिए नहीं।

पाश्चात्य संस्कृति का दुष्प्रभाव– भारतीय संस्कृति आज अपना मूल स्वरूप खोती जा रही है। पाश्चात्य संस्कृति ने उसको दूषित कर दिया है। उसने त्याग–बलिदान, परमार्थ के आदर्श से हटकर स्वार्थ को अपना लिया है। भारत में भी अब खाओ, पीओ और मौज करो का आदर्श घर करता जा रहा है।

अपना हित अपना सुख ही महत्त्वपूर्ण है। सुख के लिए धन आवश्यक है। ‘धनात् धर्मः ततः सुखम्’ के उपदेश में से ‘धर्मः’ गायब हो गया है। अब तो धन से सुख मिलता है। धर्म की आवश्यकता नहीं। अतः किसी भी तरीके, भ्रष्टाचार, परशोषण, ठगी, लूट आदि से धन कमाना आज बुरा नहीं माना जाता।

उपभोक्तावाद– उपभोक्तावाद क्या है? आज विश्व की अर्थव्यवस्था पूँजी’ केन्द्रित है। उद्योग–व्यापार का लक्ष्य अधिक से अधिक धनोपार्जन है। इस धनोपार्जन का जोर माध्यम पर नहीं है, साधन उचित या अनुचित कोई भी हो सकता है, बस, वह धन कमाने में सहायक होना चाहिए।

उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो उद्योग में हुए उत्पादन का प्रयोग करता है। उसको अधिक से अधिक उत्पादन खरीदने को प्रोत्साहित किया जाता है। पुराने आदर्श आवश्यकताएँ कम से कम रखने के स्थान पर आज अधिक–से–अधिक आवश्यकताएँ रखना और उनकी पूर्ति करना सुखी होने के लिए जरूरी है। ऐसी स्थिति में इन्द्रिय दमन और मन के नियन्त्रण की बात ही बेमानी है।

उपभोक्तावाद का आधार बाजार है, अत: इसको बाजारवाद भी कहा जा सकता है। उद्योगों के विशाल मात्रा में हुए उत्पादन के लिए बाजार खोजना उत्पादक का लक्ष्य है। इसके लिए खरीददार की जेब में पैसा होना जरूरी है तथा उस पैसे को उन वस्तुओं के क्रय में खर्च होना भी जरूरी है जिनको उत्पादक ने बाजार में उतारा है। इसके लिए उत्पादक कम्पनियाँ तथा बैंकें ऋण भी देती हैं। इस प्रकार साधारण जन (उपभोक्ता) का दोहरा शोषण हो रहा है।

उदारवाद और आर्थिक सुधार– उदारवाद या आर्थिक सुधार पूँजीवाद का नया स्वरूप है। सरकार की यह आर्थिक नीति ऊपर से बडी जन हितकारी और सन्दर लगती है। हम किसके प्रति उदारता दिखा रहे हैं और किस अर्थनीति में सुधार कर रहे हैं? क्या इससे पूर्व प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू की आर्थिक नीति दोषपूर्ण थी? वास्तविकता यह है कि हम देश के गरीबों, किसानों, मजदूरों को आर्थिक सुधार का लालीपाप दे रहे हैं।

हम प्रत्येक क्षेत्र में, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य में निजीकरण को बढ़ावा देकर जनता के शोषण का मार्ग खोल रहे हैं। इस नीति के अन्तर्गत सार्वजनिक क्षेत्र को जानबूझकर कमजोर तथा अनुपयोगी बनाया जा रहा है तथा उसके समानान्तर निजीकरण के नाम पर शोषण का मजबूत दुर्ग बनाया जा रहा है।

निजीकरण के अन्तर्गत चलने वाले शिक्षालयों में गरीबों के बच्चे पढ़ ही नहीं सकते, अस्पतालों में गरीब रोगी इलाज करा नहीं सकते। अतः इस दोहरी व्यवस्था से लाभ पैसे वालों को ही होने वाला है। सरकार कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारन्टी देती है। यह कौन बतायेगा कि गरीब आदमी अपने परिवार को शेष 265 दिन क्या खिलायेगा?

इस तरह आर्थिक सुधार तथा उदारवाद के नाम पर पूँजीपतियों को और अधिक सम्पन्न तथा गरीब को और अधिक गरीब बनाया जा रहा है। अब तो कृषि क्षेत्र को भी सरकार ने विदेशी पूँजी निवेश के लिए खोल दिया है। किसान द्वारा अपने ही खेत पर दसरों के इशारे पर मजदूरी करने के लिए सरकार ने व्यवस्था कर दी है। सरकार ने खाद के दाम बढ़ा दिये हैं।

भारत के लोगों को सहायता (सब्सिडी) देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं, किन्तु बजट में विदेशी कम्पनियों को शुल्क में तथा टैक्स में रियायत देने के लिए अपार धनराशि की व्यवस्था है। कोई दुर्घटना होने पर इन विदेशी कम्पनियों के लोगों को बचाने का काम भी सरकार करती है जैसा कि भोपाल गैस त्रासदी में हो चुका है।

यह नई पँजीवादी अर्थव्यवस्था भारतीय जनता (90 प्रतिशत) के शोषण का कारण है। इससे भारतीय समाज में आर्थिक असन्तुलन बढ़ेगा। गरीब और अधिक गरीब तथा अमीर और ज्यादा अमीर होगा। यह नीति शत–प्रतिशत अभारतीय है तथा भारत की संस्कृति के भी विपरीत है। ‘तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृध कस्विद्धनम्’ की भारतीय नीति के यह पूर्णत: विरुद्ध है।

उपसंहार– भारत एक जनतांत्रिक देश है। जनतंत्र में जनता का हित ही सर्वोपरि होता है। जनता किसी भी देश की जनसंख्या के 90–95 प्रतिशत लोगों को कहते हैं। इनमें किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, छोटे व्यापारी आदि लोग होते हैं। जब तक इनके हित को महत्व नहीं मिलेगा, तब तक कोई आर्थिक नीति कारगर नहीं हो सकती। विदेशी कर्ज से सम्पन्नता का सपना देखना बुद्धिमानी नहीं है। गांधीजी पागल नहीं थे जो स्वदेशी उद्योगों के पक्षधर थे। गांधीजी के अनुयायी नेताओं को कम से कम इस बात का ध्यान तो रखना ही चाहिए।

भारतीय संस्कृति और उसका भविष्य पर निबन्ध | Essay on Indian Culture in Hindi

culture of india essay in hindi

भारतीय संस्कृति और उसका भविष्य पर निबन्ध | Essay on Indian Culture and its Future in Hindi!

डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी के शब्दों में- ”मेरे विचार से सारे संसार के मनुष्यों की एक ही सामान्य मानव-संस्कृति हो सकती है । यह दूसरी बात है कि वह व्यापक संस्कृति अब तक सारे संसार में अनुभूत और अंगीकृत नहीं हो सकी है ।

विभिन्न ऐतिहासिक परंपराओं से गुजरकर और विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में रहकर संसार के भिन्न-भिन्न समुदायों ने उस महान् मानवीय संस्कृति के भिन्न-भिन्न पक्षों से साक्षात् किया है । नाना प्रकार की धार्मिक साधनाओं, कलात्मक प्रयत्नों और सेवाभक्ति तथा योगमूलक अनुभूतियों के भीतर से मनुष्य उस महान् सत्य के व्यापक और परिपूर्ण रूप को क्रमश: प्राप्त करता है, जिसे हम ‘संस्कृति’ शब्द द्वारा व्यापक करते हैं । यह ‘संस्कृति’ शब्द बहुत अधिक प्रचलित है ।

Read More Essays on Indian Culture:

  • भारतीय संस्कृति: विलुप्त होती दिशाएं | Indian Culture in Hindi
  • वैश्वीकरण एवं भारतीय संस्कृति पर निबंध | Essay on Globalization of Indian Culture in Hindi
  • Essay on Indian Culture | Hindi

इसकी सर्वसम्मत कोई परिभाषा नहीं बन सकी है । प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि और संस्कारों के अनुसार इसका अर्थ समझ लेता है । परंतु एकदम अस्पष्ट भी नहीं कह सकते, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य जानता है कि मनुष्य की श्रेष्ठ साधनाएँ ही संस्कृति है ।

संस्कृति और सभ्यता में घनिष्ठ संबंध है । जिस जाति की संस्कृति उच्च होती है, वह ‘सभ्य’ कहलाती है और मनुष्य ‘संस्कृत’ कहलाते हैं । जो संस्कृत है, वह सभ्य है; जो सभ्य है, वही संस्कृत है । अगर इस पर विचार करें तो सूक्ष्म सा अंतर दृष्टिगोचर होता है ।

प्रत्येक जाति की अपनी-अपनी संस्कृति होती है, पर वे सभी सभ्य नहीं होतीं । संस्कृति अच्छी या बुरी हो सकती है परंतु सभ्यता सदैव सुंदर होती है । सभ्यता के अंतर में बहनेवाली धारा को हम ‘संस्कृति’ कहते हैं । संस्कृति का विकास देश की प्राकृतिक अवस्थाओं, पैदावार तथा जलवायु पर भी निर्भर होता है ।

प्रकृति का हमारे रहन-सहन, आचार-विचार सभी पर प्रभाव पड़ता है । उत्तम संस्कृति हीनतर संस्कृति को प्रभावित अवश्य करती है परंतु आत्मसात् नहीं । आर्य-संस्कृति से अन्य जातियाँ बहुत प्रभावित हुईं; जैसे-हूण, कुषाण, शक आदि । उन्होंने भारतीय संस्कृति की अच्छी-अच्छी बातों को ग्रहण किया ।

संस्कृति और धर्म में बहुत अंतर है । धर्म व्यक्तिगत होता है । धर्म आत्मा-परमात्मा के संबंध की वस्तु है । संस्कृति समाज की वस्तु होने के कारण आपस में व्यवहार की वस्तु है । संस्कृति धर्म से प्रेरणा लेती है और उसे प्रभावित करती है । धर्म को यदि ‘सरोवर’ तथा संस्कृति को ‘कमल’ की उपमा दें तो यह गलत न होगा ।

ADVERTISEMENTS:

मनुष्य के शरीर में आत्मा प्रधान है, शरीर गौण है फिर भी शरीर आत्मा के लिए अत्यंत आवश्यक है । भारतीय संस्कृति आत्मा को ही मुख्य मानती है । शरीर और मन की शुद्धि भी आवश्यक है । जब तक मनुष्य का बाह्य तथा अंतर शुद्ध नहीं होता तब तक वह त्रुटिपूर्ण विचारों को भी सही मानता रहेगा ।

शरीर तथा अंतःकरण की शुद्धि ही भारतीय आदर्शों की विशेषता है । भारतीय संस्कृति का विकास धर्म का आधार लेकर हुआ है इसीलिए उसमें दृढ़ता है । भारतीय संस्कृति व्यक्ति को व्यक्तित्व देती है और उसे महान् कार्यों के लिए प्रोत्साहित करती है, किंतु व्यक्तित्व का चरम विकास यह सामाजिक स्तर पर ही स्वीकार करती है । व्यक्ति की साधना द्वारा सामान्य जनजीवन परिष्कृत बने, यही भारतीय संस्कृति की महान् विशेषता है ।

भारतीय संस्कृति के आदि युगों में भी अन्य देश यहाँ के धर्म, दर्शन, आचार- विचार, सामाजिक सहिष्णुता आदि से प्रभावित हुए थे । एशिया पे- विस्तृत विशाल भू-खंडों में अनेक ऐसी ताम्र, लौह तथा प्रस्तर की मूर्तियाँ, लेख आदि मिले हैं, जो यहाँ के गौरवमय इतिहास, सभ्यता और यहाँ की संस्कृति के द्योतक हैं । भारतीय आवासको और धर्म दूतों ने साइबेरिया से सिंहल तट तक और सोकोतरा से सेलीबीज तक ऐसा सांस्कृतिक प्रभुत्व स्थापित किया कि आज भी वह अपनी गहरी छाप वहाँ की संस्कृति पर जमाए हुए है ।

भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता उसकी परम उदारता और सहिष्णुता है । धार्मिक, सामाजिक, नैतिक व्यवहारों में भारत की संस्कृति अन्य देशों की अपेक्षा कहीं अधिक उदार है, क्योंकि जैसा कहा जा चुका है, भारतीय संस्कृति की नींव धर्म का दृढ़ आधार लेकर खड़ी हुई है ।

मिस, यूनान तथा चीन देश की संस्कृति को भारतीय संस्कृति ने प्रभावित किया था, इतिहास इसका साक्षी है । भारतीय संस्कृति की एक अन्य विशेषता सुव्यवरथा है, जो हमें सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों तक में प्राप्त होती है । सामाजिक सुव्यवस्था इस विशाल जन-समूह को चार जातियों में विभक्त करके स्थापित की गई । हमारै ऋषियों ने जीवन की सुव्यवस्था चार आश्रमों में की है; ये आश्रम हैं- (१) ब्रह्मचर्य, (२) गृहस्थ, (३) वानप्रस्थ, (४) संन्यास ।

धार्मिक सुव्यवस्था कर्मफल पर आधारित थी, जो इन सबके मूल में थी । कर्मफल के सिद्धांत ने मनुष्य के जीवन में अपूर्व संतोष ला दिया । आज की परिस्थिति और अपने भविष्य से वह संतुष्ट था । वह जैसा कर्म करेगा, उसी के अनुसार इस जीवन और मृत्यु के उपरांत दूसरे जीवन में फल पाएगा । कर्मफल के सिद्धांत का वैज्ञानिक महत्त्व चाहे कुछ भी न हो, पर उसका सांस्कृतिक महत्त्व भारतीय जीवन पर यथेष्ट रूप में पड़ा है ।

भारतीय समाज पुनर्जन्म में विश्वास रखता है । ईसवी पूर्व पाँचवीं शताब्दी के सुप्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक पाइथागोरस ने भी संभवत: भारतीय दार्शनिकों से प्रभावित होकर ही पुनर्जन्म के सिद्धांत को मैना था । इस प्रकार भारतीय संस्कृति की सुदृढ़ नींव पड़ चुकी थी, जो आज तक इसी रूप में है । भारतभूमि रार अनेक जातियाँ आई तथा अपनी-अपनी सभ्यता-संस्कृति साथ लाईं ।

उनका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में हमारी सभ्यता पर प्रभाव पड़ा, फिर भी हम मूल रूप में उन्हीं विश्वासों, उन्हीं आचार-विचारों में जीवित रहे, जो हमारे परंपरागत संस्कारों में पलते गए थे । सांस्कृतिक उत्थान-पतन का युग अपने समय की विचारधाराओं के अनुसार ही होता है ।

किसी देश की संस्कृति का भविष्य हम उसके समस्त प्राचीन और वर्तमान इतिहास को देखकर सफलतापूर्वक बतला सकते हैं । जब तक उत्थान और पतन के मध्य आशावादी विचारधारा की प्रधानता रहती हे, तब तक हम अपनी संस्कृति का उत्थान करते रहेंगे ।

हरिदत्त वेदालंकार के शब्दों में- ”भारतीय संस्कृति के उत्थान और पतन में दो पृथक और विरोधी विचारधाराओं का बड़ा हाथ रहा है । पहली आशावादी विचारधारा है, दूसरी निराशावादी । पहली, दुनिया के सुखों को पाना, आपत्तियों-विपत्तियों से जूझना और उनपर विजय प्राप्त करना चाहती है ।

दूसरी, संसार को दुःखमय समझ उससे भागकर जंगलों में जाने तथा मोक्ष प्राप्त करने का आदेश देती है । पहली के लिए संसार सत्य है, दूसरी के लिए मिथ्या । जब तक पहली विचारधारा का प्राधान्य रहा, हम आगे बढ़ते रहे । छठी शताब्दी ईसवी से दूसरी विचारधारा प्रबल हुई ।

वैराग्य और परलोकवाद के कारण संसार से मृणा की जाने लगी । अत: संसार ने भी भारत की उपेक्षा की । वह उन्नति की दौड़ में पिछड़ गया । एक हजार तीन सौ वर्षों तक हम मोहनिंद्रा में पड़े रहे । स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद हम एक चौराहे पर खड़े हैं । एक मार्ग का वरण कर हमें आगे बढ़ना है ।

इसी पर हमारा भविष्य अवलंबित है । क्या हम गतिशीलधारा को अपनाएँगे या वैराग्यमूलक निवृत्ति-प्रधान वेदांत और भक्तिमार्ग के साथ मोहवश चिपटे रहेंगे ? मध्ययुग में भारतवर्ष के अद्यःपतन का एक बड़ा कारण परलोकवाद, भ्रांत विश्वास, दृषित विचारधाराएँ और थोथी आध्यात्मिकता थी ।

मेरी दृष्टि में भारतीय संस्कृति के विषय में ऐसी धारणाएँ अनुचित हैं । मध्ययुग में भी हमारी संस्कृति ने हास नहीं देखा था । वैसे विचारधारा देशकाल और परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है । समाज में अंधविश्वास, अनेक बाह्याडंबर, धार्मिक कर्मकांड, दिखावा, जाति-पांति, ऊँच-नीच की भावना बढ़ती गई । इधर छोटे-छोटे राज्य आपसी युद्धों में व्यस्त थे । अत: भारत में एक ऐसा युग आया, जो उसके देदीप्यमान उज्जल इतिहास में कलंकस्वरूप था ।

मध्ययुगीन संतों ने और भक्ति साहित्य के अमर सृजनकर्ताओं ने समाज की अनेक प्रचलित कुरीतियों की ओर ध्यान दिया और समवेत स्वर में उसका विरोध किया । सहस्रों वर्षों से चली आई संस्कृति में उन्होंने फिर से नवजीवन भर दिया, ठीक उसी तरह जिस तरह समाज के बाह्याडंबरों और छुआछूत का विरोध स्वामी दयानंद ने किया था ।

महात्मा गांधी के उपदेशों ने समाज में भेदभाव मिटाने का सतत प्रयास किया था । सभी सुधारकों ने भारतीय संस्कृति में, जो सहस्रों वर्षों से धीरे-धीरे त्रुटियाँ आती गई, उनकी ओर इंगित किया । जनता में प्रचलित अंधविश्वासों और बाह्याडंबरों का प्रत्येक सुधारक ने घोर विरोध किया ।

आज की संस्कृति को और भी उन्नत बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हमारे जो दोष संस्कृति में घर करते गए हम उन्हें दूर करने का प्रयास करें तभी सच्चे रूप में उन्नति संभव हो सकती है । आज का युग विज्ञान का युग है । हमें नवीन वैज्ञानिक प्रयोगों से लाभ उठाकर देश की उन्नति करनी है । मिथ्या आडंबर और अंधविश्वासों का युग अब बीत चुका है । यह जागरण का युग है, जिसमें हमें बड़ी सतर्कता से आगे बढ़ना है ।

जब कर्मफल या सिद्धांत केवल भाग्यवाद में परिणत हो गया तब मलूकदास की वाणी से यह निःसृत हुआ था:

” अजगर करे न चाकरी , पंछी करे न काम । दास मलूका कह गए , सबके दाता राम ।। ”

ऐसे ही अनेक शब्दों ने समाज की अपढ़ जनता को अकर्मण्यता के अतिरिक्त और क्या सिखाया ? केवल भाग्य के भरोसे बैठे रहना या अपने अतीत के मिथ्याभिमान में ऐंठे रहना । हमारी उन्नति में बाधक सिद्ध होगा ।

आज हमें भारतीय नाम के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए अपने समस्त सांप्रदायिक वैमनस्यों को भुलाकर सहिष्णु बनाना होगा । भारतीय संस्कृति की उदार प्रवृत्ति ही हमारी संस्कृति के भविष्य को समुज्वल बना सकती है ।

संस्कृति सतत परिवर्तनशील है, जो जाति इस सत्य को स्वीकार नहीं करती और अपने प्राचीन विचारों के मोह में पड़ी रहती है, संसार के इतिहास से उसका नाम मिट जाता है । हमारा यह सौभाग्य है कि भारतीय संस्कृति परिस्थितियों के अनुसार अपना रूप बदलती रही है । उसका यह गुण उसके उज्ज्वल भविष्य की सबसे बड़ी गारंटी है ।

Related Articles:

  • लोक-संस्कृति की अवधारणा पर निबन्ध | Essay on The Concept of Folk Culture in Hindi
  • विज्ञान एवं संस्कृति पर निबन्ध | Essay on Science and Culture in Hindi

IMAGES

  1. Essay on Indian Culture in Hindi 1000 Words भारतीय संस्कृति पर निबंध

    culture of india essay in hindi

  2. भारतीय संस्कृति पर निबंध

    culture of india essay in hindi

  3. essay on Indian culture in hindi

    culture of india essay in hindi

  4. भारतीय संस्कृति पर निबंध

    culture of india essay in hindi

  5. Essay On Unity In Diversity In India In Hindi

    culture of india essay in hindi

  6. भारतीय संस्कृति पर निबंध (Indian Culture Essay in Hindi)

    culture of india essay in hindi

COMMENTS

  1. Essay on Indian Culture in Hindi

    आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Indian Culture in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए ...

  2. भारतीय संस्कृति पर निबंध

    Essay on Indian Culture in Hindi. भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन एवं महान संस्कृति है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। भारतीय संस्कृति सार्वधिक संपन्न और ...

  3. Indian Culture Essay In Hindi भारतीय संस्कृति पर निबंध

    Now you can write long and short essay on Indian culture in Hindi in our own words. We have added an essay on Indian culture in Hindi 300 and 1000 words. You may get questions like Bhartiya Sanskriti essay in Hindi, Bhartiya Sanskriti par Nibandh or Bharat ki Sabhyata aur Sankriti in Hindi. If you need we will add Bhartiya Sanskriti in Hindi ...

  4. भारतीय संस्कृति पर निबंध

    भारतीय संस्कृति पर निबंध (Essay on Indian Culture in Hindi). इस लेख में हम भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं और प्रमुख आधार के बारे में जानेंगे I Essay on Indian Culture in 100, 150, 200, 250, 300 words.

  5. भारतीय संस्कृति की जानकारी, इतिहास

    Indian Culture Information & History in Hindi, Culture of India in Hindi, Indian Culture Essay in Hindi, भारतीय संस्कृति का इतिहास, जानकारी

  6. भारतीय संस्कृति पर निबंध 10 lines (Indian Culture Essay in Hindi) 100

    राजस्थान बोर्ड आरबीएसई 12वीं टाइम टेबल 2024 जारी (RBSE 12th Time Table, Exam Date in Hindi) भारत में गरीबी पर निबंध 10 lines (Poverty In India Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

  7. Essay on indian culture in hindi, paragraph, article: भारतीय संस्कृति

    भारतीय संस्कृति पर निबंध, essay on indian culture in hindi (100 शब्द) भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए दुनिया भर में एक प्रसिद्ध देश है। यह विभिन्न संस्कृति और परंपरा की ...

  8. भारतीय संस्कृति निबंध

    योग पर निबंध - Yoga Essay In Hindi Recent Posts CBSE Class 6 Hindi Grammar भाषा, बोली, लिपि और व्याकरण

  9. Essay on Indian Culture

    List of five essays on Indian Culture (written in Hindi Language). Content: भारतीय खंस्कृति | भारतीय धर्मों का स्वरूप और उसकी विशेषताएं | भारत की महान दार्शनिक परम्पराएं | भरतीय कलाएं विकास एवं उनका ...

  10. भारतीय संस्कृति और उसका भविष्य पर निबन्ध

    भारतीय संस्कृति और उसका भविष्य पर निबन्ध | Essay on Indian Culture and its Future in Hindi! डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी के शब्दों में- ''मेरे विचार से सारे संसार के मनुष्यों की एक ही ...